Tuesday, September 30, 2008

आप सभी को नवरात्री और ईद की हार्दिक शुबकामनाएं

  • हृदेश अग्रवाल
मातारानी सभी आतंकवादियों को सद्बुद्धि दे

ईद की सभी को हार्दिक शुभकामनायें

Monday, September 29, 2008

फिर न दहले दिल्ली

  • हृदेश अग्रवाल
गत शनिवार को हुए आतंकी हमले से एक बार फिर दिल्ली दहल उठी, न जाने इन आतंकवादियों को रोकने के लिए केन्द्र सरकार कब सख्त कानून बनाएगी। न जानें कब होगा हमारे देष का उद्दार। सरकार को जल्द से जल्द कड़ा कानून बनाना ही पड़ेगा। सरकार या तो हमलावरों को तुरंत गोली मारने के आदेश दे या फिर इस देष की रक्षा के लिए यह कमान भारतीय सेना या रेपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) के हवाले कर दे क्योंकि हमारे देष में आतंकियों को मुंह तोड़ जबाव देने के लिए तो पुलिस भी किसी से कम नहीं। पुलिस विभाग के आला अधिकारी और चंद नेताओं की वजह से पुलिस कुछ नहीं कर पाती। अगर पुलिस कुछ करना चाहती है तो उनके हाथों को बांध दिया जाता है या फिर उनका तबादला कर दिया जाता है। ऐसे में पुलिस क्या करे। चुनाव करीब आते ही सभी राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते हैं। विभिन्न राजनीतिक धर्म के नाम पर हिन्दु-मुस्लिमों की बलि चढ़ा रहे हैं लेकिन हम लोग अपनी आंखों पर पट्टी बांधे हुए उनके उत्तेजित भाषणों पर हम उत्तेजित होकर अपने ही भाईयों का गला काटने को जरा भी नहीं हिचकिचाते। आतंकवादियों से लड़ने के लिए सरकार क्या उठाए? हमारे देष के नेता या तो संसद, विधानसभा में हंगामा करते हैं या फिर एक-दूसरे नेताओं के पुतले जलाते हैं क्या आतंकवादियों से निपटने के लिए यही सही हैा जा सकता है नहीं....। आतंकियों से निपटने के लिए राजनीति छोड़ कानून बनाकर देष के हित के बारे में सोचना चाहिए। अक्टूबर माह के शुरूआत में ही दो त्यौहार हैं ईद और नवरात्र जो पूरे भारत में बड़े हर्षोल्लास से बनाए जाएंगे। जिस पर आतंकवाद भी निगाह रखेगा आतंकवाद हमारे त्यौहारों को खराब करने के लिए निगाह रखे उससे पहले हमारी सरकार को राजनीति छोड़ आतंकवाद की नाक में नकेल डालने के लिए तुरंत कुछ न कुछ उपाय करना होगा जिससे भारत में दोनों धर्मों के त्यौहार बड़ी धूमधाम व हषोल्लास मनाए और देश में अमन चैन की कामनाएं की जाएं।
इस पर एक शेर अर्ज है कि:
फानुस बनकर जिसकी हिफाज़त खुदा करे।
वो शमां क्या बुझेगी जिसे रोशन खुदा करे।।
किसी ने सही कहा है कि कोई भी आतंकी या आतंकवादी संगठन कितने ही हमले करें लेकिन भारत का कुछ नहीं बिगाड़ सकते क्योंकि उस भारत की रक्षा तो स्वयं भगवान और अल्लाह कर रहे हैं।

राज चले हिन्दी की और


  • हृदेश अग्रवाल
महाराष्ट्र में मनसे प्रमुख राज ठाकरे मराठी भाषा की वकालात करते थे और उत्तर भारतीयों का अपमान अब कहां गया? मराठियों का सम्मान करने वाली मनसे पार्टी के एक कार्यकर्ता ने कोर्ट के बाहर हिन्दी भाषा में बोर्ड लगाया और मराठी छोड़ हिन्दी को अपनाया। जिसमें दिखाया गया है कि आतंकवाद के खिलाफ मनसे प्रमुख राज वकीलों से कह रहे हैं कि हमें गर्व है कि हम इस देष के नागरिक हैं और हमें आतंकवाद के खिलाफ एक जुट होकर लड़ना चाहिए, तो राज ठाकरे जी क्या आपकी पार्टी एक आतंकवादी पार्टी से कम है? जो खुलेआम मुंबई में उत्तर भारतीयों पर अपना मोर्चा खोले हुए है। क्या आप नहीं मानते कि आपके इस रवैये से लोगों का मुंबई शहर में घूमना मुष्किल हो गया है? उत्तर भारतीय शहर में घूमने से पहले कई बार सोचते हैं कि कहीं हमें मनसे कार्यकर्ताओं की मार न खाना पड़े। इस पर यही कहूंगा कि मराठी व गैर मराठी के मसले को भूल आप यह क्यों नहीं सोचते कि हम सब इस प्यारे भारत देष के नागरिक हैं जहां पर सभी भाषा-भाषियों व समाज के लोगों का अधिकार है। अगर आप भी यही सोचें कि महाराष्ट्र पर सिर्फ मराठों का ही अधिकार नहीं बल्कि समूचे देषवासियों का अधिकार है तो फिर देखिए यह आतंकवाद एक चुटकी में खत्म हो जाएगा। आतंकवादी संगठन या आतंकवादी भारत की तरफ निगाह उठाने की जुर्रत तक नहीं करेगा। आतंकवाद ने अगर भारत पर आंख उठाई तो समूचे भारतीय लोग आतंकवादियों का वही हश्र करेंगे जो आजादी के समय अंग्रेजों का हुआ था, क्योंकि भारत एक परिवार है और इसमें रहने वाला हर नागरिक इस परिवार का सदस्य है। झगड़े तो हर घर में होते हैं लेकिन झगड़कर आपस में लड़ते नहीं, बल्कि एक जुट होकर ही रहते है। अगर हम भाषावाद या जातिवाद के विवादों को भूल जाएं और सिर्फ यही याद रखें कि हम सब पहले हिन्दुस्तानी हैं, और कोई नहीं। तो फिर देखो पाकिस्तान भी हमसे आंख मिलाने में कतराएगा।
इस पर एक शेर अर्ज है कि :

समझ ले बेटा पाकिस्तान


बाप है तेरा हिन्दुस्तान

Saturday, September 27, 2008

दहेज प्रताड़ना पर रोक

  • हृदेश अग्रवाल
कलर्स चैनल पर चल रहे धारावाहिक बंधन सात जन्मों का में दिखाया जा रहा है कि मां-बाप किस लाड़ प्यार से अपनी बेटी को पालते हैं कि जब उनकी बेटी बड़ी होकर शादी के बंधन में बंधकर ससुराल में जाए तो उसे अपने मायके की याद न आए। माता-पिता बेटी का पालन पोषण कर बड़ा करते हैं जब बेटी की शादी के लाय होती है तब उसे देखने लड़के वाले आते हैं तो लड़की को देख पसंद आने पर लड़के के माता-पिता शादी के लिए हां करते हैं और लड़की के माता-पिता को यह दिलासा देते हैं कि हमें सिर्फ लड़की चाहिए दहेज नहीं क्योंकि हम दहेज नहीं मांगते और हमारे घर में बहू को बहू नहीं बल्कि बेटी की तरह लाड़-प्यार से रखते हैं। यह बात सुन लड़की के माता-पिता की खुषी का ठिकाना ही नहीं रहता इसी बीच लड़के वाले बोलते हैं कि हमें तो दहेज में कुछ नहीं चाहिए बस बारातियों के स्वागत में कोई कसर नहीं रहना चाहिए। इस पर लड़की के माता-पिता कहते हैं कि बारातियों के स्वागत में कोई कसर नहीं रहेगी जिससे आपको कोई षिकायत का मौका मिले। तो तुरंत ही लड़के वाले अपना एक और दांव फैकते हैं कि वैसे तो हमें दहेज में कुछ नहीं चाहिए लेकिन आप अपनी बेटी को तो खाली हाथ विदा नहीं करेंगे आप हमें गलत मत समझिए वैसे तो आप इतने समझदार हैं ही हमारे कहने का क्या मतलब है।ससुराल में जब बेटी जाए तो सास-ससुर के रूप में माता-पिता मिले और ननद व देवर के रूप में बहन व भाई। लेकिन जब लड़की ससुराल पहुंचती है तो उसका बड़ा आदर सत्कार होता है और बहू उन्हें लक्ष्मी दिखती है, जैसे ही बहू की शादी को 15 दिन या महिना भर होता है ससुराल वाले अपना रंग दिखाना चालू कर देते हैं उसे लक्ष्मी की बजाए मनहूस दिखती है जब ससुराल वाले देखते हैं कि हमारा समधियों ने तो दहेज के नाम पर कुछ भी नहीं दिया सिर्फ और सिर्फ अपनी बेटी को खाली हाथ पहुंचा दिया फिर वह दहेज मांगने के लिए कोई न कोई बहाना बनाते हैं और दहेज न मिलने पर उसे या तो घर से धक्के मार कर घर से निकाल देते हैं या फिर बेटी जैसी लगने वाली बहू को इतना परेषान किया जाता है कि उसके मां-बाप को अपनी बेटी की इस हालत पर तरस आए और कम से कम बेटी की यह हालत न हो दहेज तो दे ही देंगे। दहेज मिला तो ठीक नहीं तो बहू को ससुराल वाले एक नौकरानी की तरह बर्ताव कर बात-बात में उसे उसके मां-बाप के बारे में जली-कटी सुनाते हैं और कहते हैैं कि भिखारी कहीं के कहां तो कहते थे कि आपको हमारी तरफ से कोई षिकायत का मोका नहीं मिलेगा, षिकायत तो दूर हमें तो उल्टा उनकी बेटी को पालना पड़ रहा है। हरामखोर, मनहूस कुतिया मर क्यों नहीं जाती जैसे अभद्र शब्द का इस्तेमाल करने लगते हैं।ससुराल वालों को जैसे ही मौका मिलता है वह लक्ष्मी जैसी लगने वाली बहू को मारना, पीटना भी चाहू कर देते हैं सारा काम कराने के बाद भील अगर कोई गलती हो जाए तो उसे भूखे रहने की सजा देते हैं और ताने मारते हैं कि तेरे मां-बाप के यहां यही सीख कर आई है तू। हे भगवान इस लड़की ने तो हमारे खानदान की नाक कटा दी। और अंत में बहू को बेटी का दर्जा देने वाले उसी बहू को तेल डालकर जिंदा जला देते हैं। लेकिन वही ससुराल वाले यह भूल जाते हैं कि वो अगर किसी और की बेटी को दहेज के लिए जिंदा जला रहे हैं और कल कोई उनकी बेटी के साथ यही करे तो कहते हैं कि दहेज के लिए हमारी बेटी को जिंदा जला डाला।बंधन सात जन्मों का के धारावाहिक में दिखाने वाली घटना कोई कालपनिक घटना नहीं बल्कि हमारे देष के ज्यादातर राज्य के छोटे-बड़े शहरों में होने वाली यह आम घटना है।कहने को सरकार कहती है कि यह पहले वाला वक्त नहीं जहां महिलाओं को सिर्फ चूल्हा-चैका के अलावा कोई औरे काम करने की इजाजत नहीं थी आज के वक्त में हर क्षेत्र में पुरूष जितना आगे हैं उनसे कहीं आगे महिलाएं भी अपना नाम रोषन कर रहीं हैं। आज लड़के-लड़की में कोई फर्क शेष नहीं है। लेकिनप आज भी दहेज के लिए लड़कियों को ही क्यों जलाया जा रहा है। इस दहेज की आग से इन लड़कियों को बचाने के लिए सरकार को कोई सख्त कानून बनाने के साथ-साथ कठोर कदम भी उठाने चाहिए। जिससे की किसी भी मां-बाप के कलेजे के टुकड़े को कोई उनके सामने जला के न मार सके।

बजरंग दल पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए

  • हृदेश अग्रवाल
हाल ही में हुए खुलासे में यह बात सामने आई है कि भारत में कट्टर हिन्दू संगठन के रूप में काम कर रहे बजरंग दल भी बम बनाने लगा है और इससे आतंकवादी संगठन सिमी, इंडीयन मुजाहिद्दीन (ईएम) की तरह ही यह भी आतंकवादी संगठन बनने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।बजरंग दल के इस रवैये पर विष्व हिन्दू परिषद और भारतीय जनता पार्टी भी बिल्कुल मौन हैं इस पर कार्यवाही नहीं कर रही हैं।उड़ीसा व कर्नाटक में हुए चर्चों पर हमले में धर्म के नाम पर बजरंग दल ने साम्प्रदायिक हमले किए हैं जो कि हिन्दू के नाम की दुहाई देने वाले बजरंग भी तो एक आतंकवादी संगठन के रूप में काम कर रहा है अगर बजरंग दल एक धार्मिक व हिन्दुत्ववादी संगठन है तो सिमी भी कोई आतंकवादी संगठन नहीं है। अगर सिमी पर प्रतिबंध जरूरी है तो बजरंग दल पर भी प्रतिबंध जरूरी है।कर्नाटक में हुए हमले की निंदा करते हुए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष मो. शफी कुरैषी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात कर बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने को कहा क्योंकि हमारे देष को बजरंग दल से बहुत बड़ा खतरा है।वहीं उत्तर प्रदेष के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने भी केन्द्र सरकार से बात कर कहा है कि बजरंग दल पर जितनी जल्दी हो सके प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए क्योंकि बजरंग दल हिन्दुत्तव के नाम पर साम्प्रदायिक दंगे करवा रहा है जिससे हमारे देष के नागरिकों को खतरा है क्योंकि बजरंग दल भी बम बनाने लगा है।वहीं बेंगलूरू में इन दोनों के समर्थन में श्रीश्री रविषंकर जी महाराज ने हिंसा पर खेद जताते हुए कहा कि हर जगह धर्म के नाम पर साम्प्रदायिक दंगे कराना हिन्दू धर्म के खिलाफ है। उन्होंने केन्द्रीय जांच कमेटी को गठित कर जांच करने के लिए कहा है।बजरंग दल को आज हिन्दुस्तान में अपनी पहचान बनाने में कोई ज्यादा समय नहीं लगा है इसकी स्थापना उत्तर प्रदेष में विष्व हिन्दू परिषद ने एक युवा शाखा के रूप में की थी जिसे 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वस में ज्यादा पहचान मिली। तब बजरंग दल ने अपनी कई नई शाखाओं की स्थापना की जिसमें प्रमुख हैं दुर्गा वाहिनी, गौरक्षा समिति।भास्कर के डीबी स्टार में बताया गया है कि बजरंग दल ने कई जगह बम बनाए जिसमें उनके नेताओं व कार्यकर्ताओं की जान गई।

Wednesday, September 24, 2008

बजरंग दल पर भी प्रतिबंध

  • हृदेश अग्रवाल
समाजवादी पार्टी के मुखिया व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने आज कहा कि सिमी की तरह बजरंग दल पर प्रतिबंध लगना चाहिए। क्योंकि सिमी की तरह बजरंग दल भी गुंडागर्दी व धर्म के नाम पर आतंक फैला रहा है। वहीं उनके समर्थन में उतरे अल्पसंख्यक आयोग भी उनकी तरह ही राग अलाप अलाप रहा है। लेकिन मुलायम सिंह जी आप यह क्यों भूल रहे हैं कि अगर विष्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल या षिव सेना जैसे हिन्दू संगठन अगर हमारे देष में नहीं होते तो क्या हम अपने ही देष में चैन से जी पाते कदापि नहीं क्योंकि यह आतंकवादी संगठन और मुस्लिम समुदाय हमको नहीं जीने देती। कम से कम विष्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल और षिव सेना ही तो हैं जो हम हिन्दुओं की रक्षा के लिए अपना खून बहाती हैं वरना और कौन है आप जैसे भ्रष्ट नेता जो कोई भी हमला हुआ नहीं कि चले आए अपनी बुलेट प्रूफ गाड़ी में अपने अंगरक्षकों के साथ मीडिया के सामने और हमलों की निंदा की और चलते बने अपने सुरक्षा गार्डों के साथ। आपको क्या पता हमले में किसी के घर का कोई मरता व्यक्ति मरता है कितना दुख होता है, अगर इन्हीं दंगों या हमलों में कोई आपके घर का मरे फिर आपको कोई दिलासा देकर चला जाए तब आपको पता चलेगा कि क्या होते हैं दंगे या आतंकवादी हमले। मुलायम सिंह ने कहा आजमगढ़ में अगर दो-चार आतंकी पकड़े गए तो आजमगढ़ को आतंकी शहर क्यों कहा जा रहा है आजमगढ़ ऐसा शहर नहीं है जो आतंकियों को पनाह दे।

सख्त कानून पर दो राय

  • हृदेश अग्रवाल
अभी हाल ही में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने बयान में कहा था कि आतंकवाद से निपटने के पोटा तो नहीं बल्कि पोटा से भी ज्यादा सख्त कानून बनाया जाएगा और उसका डिपार्टमेंट भी अलग होगा लेकिन जुमा-जुमा 4 दिन हुए प्रधानमंत्री के इस बयान को आज गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने कहा कि कोई नए कानून की आवश्यकता नहीं बल्कि यही कानून सही है सिर्फ कुछ मशीनरी की आवश्यकता है क्योंकि महाराष्ट्र में तो मकोका कानून है फिर भी वहां पर बम ब्लास्ट नहीं हुए क्या इसलिए नए कानून से कुछ नहीं होता कानून जो है वही सही है। अब एक बात समझ से परे है कि शिवराज पाटिल जी नए कानून के खिलाफ क्यों हैं क्या वह नहीं चाहते कि देष में अमन शांति बनी रहे, या फिर शिवराज पाटिल जी इसलिए इस नए कानून के खिलाफ हैं क्योंकि उनको डर है कहीं उनके हाथों में एक नए मंत्रालय की बागडोर न दी जाकर किसी और को इस मंत्रालय का मंत्री बनाया जाए जो बाकई इस मंत्रालय के साथ-साथ देश का भला कर सके आतंकवादियों को साफ करके, इससे कहीं यह साबित न हो जाए कि माननीय पाटिल साहब के हाथ में जो गृह मंत्रालय है उसकी हालत काफी लचर है। अगर ऐसा नहीं है तो उन्हें फिर किस बात की चिंता उन्हें तो बल्कि खुश होना चाहिए कि हमारे नए देश में आतंकवादियों से निपटने के लिए एक नया व सख्त कानून बनाने की घोषणा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने की है। कहीं ऐसा तो नहीं शिवराज पाटिल जी कहीं ये बताना चाह रहे हों कि वह देश व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी दोनों से ऊपर हैं।

आतंकवाद का एक और घिनौना चेहरा

  • हृदेश अग्रवाल
    आतंकवाद वो दीमक की तरह है जो एक बार अगर किसी वस्तु में लग जाए तो पूरी तरह से वस्तु को खत्म करके ही दम लेता है उसी प्रकार आतंकवाद दीमक की तरह हमारे भारत देष से चिपक गया है जो लगता है कि पूरी तरह खत्म करके ही दम लेगा क्योंकि दिल्ली में हुए आतंकवादी हमलों में दिल्ली पुलिस ने जो उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में जो छापामारी की तो पता चला कि इन आतंकवादियों के दोनों फाइनेंसर पुलिस गिरफ्त से बाहर हैं और इन्हीं को लेकर दिल्ली व उप्र पुलिस सहित पूरे देश को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि वो जितना सोच रहे थे ये सब कुछ उस सबसे बढ़ कर है। दिल्ली में बम धमाकों को अंजाम देने वाले आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन के आति का जब ईमेल चेक किया गया तो एक और खुलासा सामने आया जिसमें लिखा था कि देष में आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए गौरी व गजनबी नामक आतंकी संगठन जिसमें करीब 20-30 कार्यकर्ता शामिल होंगे वो मौके की तलाष में हैं। दैनिक भास्कर में छपी ख़बर गुजरात के वड़ोदरा में हुए हमले में छापे की कार्यवाही को अंजाम देते वक्त विस्फोटक सामान के साथ क्राइम ब्रांच के अधिकारियों को एक भड़काऊ सीडी बरामद हुई और क्राइम ब्रांच के अनुसार यह सीडी उस्मान अगरबत्तीवाला नामक आरोपी के ठिकाने से वरामद हुई जिसको देखने के बाद तो मानो पुलिस के पांव के नीचे से जमीन ही खिसक गई हो, उस सीडी में कुछ और नहीं भड़काऊ भाषण व आतंकवादी गतिविधियां शामिल थीं कि अगर कोई भी इसका विरोध करता है तो मौत के घाट उतार दिया जाएगा। ये किसी और ने नहीं बल्कि अलकायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन, अयमान अल जवाहिरी और तालिबानी नेता मुल्ला उमर के भड़काऊ भाषण व आतंकवादी गतिविधि को अंजाम देने की बात थी। जिसमें साफ-साफ लिखा है कि अल्लाह को न मानने वाला और जो मुसलमान हमारे काम में अड़चने पैदा करेगें उन्हें भी मौत के घाट उतार दिया जाएगा, और कोई भी हिन्दू या मुसलमान अगर विरोध करता है तो उसका सर कलम कर दिया जाएगा। जो मुसलमान कहते हैं कि कोई भी आतंकी हिंसा होती है और सबसे पहले शक की बुनियाद पर हम मुसलमानों को गिरफ्तार किया जाता है तो क्या करें जितने भी आतंकी संगठन हैं वह सब भी तो मुस्लिम आतंकी संगठनों से तालमेल रखते हैं और कहते हैं कि अल्लाह को न मानने वालों को मौत के घाट उतार दिया जाएगा। इन आतंकी हमलों से पाकिस्तान तो बहुत खुश होगा क्योंकि यही पाकिस्तान तो है जो दुनिया भर के आतंकियों को पनाह देता है और भारत की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाकर उसकी पीठ में छुरा भौंकता हैं और कहता यही है कि हमें बहुत खेद है कि भारत पर आतंकी हमला हुआ। पाकिस्तान के जो मंसूबे हैं कि मैं भारत पर बार-बार आतंकी हमला करवाकर किसी तरह से कष्मीर को ले लूंगा तो पाक यह भूल जाए कि कष्मीर तो मिलने नहीं देंगे। भारत-पाक की जब कभी भी शांति वार्ता के लिए पहल की जाती है तो शांति वार्ता में आतंकियों को छोड़ पहले कश्मीर मुद्दा उठ जाता है। यह तो वही बात हुई मखमल में लपेटकर जूते से मार लिया, अगर किसी ने कहा कि मार क्यों रहे हो तो कह दिया कि मारा कहां से साफ किया है।

Tuesday, September 23, 2008

आतंकवाद पर वाद-विवाद

हृदेश अग्रवाल
कुछ दिनों पहले देश की राजधानी दिल्ली में हुए आतंकवादी हमलों ने सबको सकते में डाल दिया क्योंकि उससे पहले हुए उप्र के वाराणसी, राजस्थान के जयपुर एवं गुजरात के सूरत में हुए हमलों में शासन व प्रशासन का एक ही जबाव था कि जल्द ही आतंकवादियों को गिरफ्तार कर आतंकवादा का सफाया कर दिया जाएगा। लेकिन सफाया तो दूर की बात है आतंकवादियों ने भारत की सरकार व पुलिस प्रशासन को मुंह तोड़ जबाव दिया दिल्ली में बम ब्लास्ट करके। आतंकवादियों ने बता दिया की सरकार व पुलिस प्रशासन हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि न तो सरकार को कोई मतलब है यहां की जनता से उन्हें तो सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेकनी आती हैं और उसके अलावा कुछ दूसरा यहां की जनता भी आतंकवाद के खिलाफ चार दिन को जोर-शोर से हल्ला करती है और बाद में चुप होकर बैठ जाती है। अभी हाल ही में दैनिक भास्कर के डीबी स्टार के 23 तारीख के अंक में छपा है कि मास्टरमाइंड पर मतभेद यह बात बिल्कुल सौलह-आने सही है। अभी हाल ही में दिल्ली में पकडे़ गए मो. सैफ और तौकीर उन्होंने अपना जुर्म कबूल कर लिया है उसके बाद भी आतंकवाद पर दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों की पुलिस एक मत नहीं हो पा रही है और एक दूसरे से मतभेद करती नजर आ रही है। दिल्ली पुलिस में जेसीपी करनैल सिंह का कहना है कि दिल्ली, गुजरात, जयपुर और उप्र के वारायणी के बम धमाकों में मास्टर माइंड आतंकी था जो इंडियन मुजाहिद्दीन का चीफ था। वहीं दूसरी और गुजरात के डीजी पी. सी. पांडे जी का कहना है कि गुजरात व जयपुर के बम धमाकों के पीछे मास्टर माइंड अबू बाशर व तौकीर का हाथ है ये दोनों भी इंडियन मुजाहिद्दीन संगठन के कार्यकर्ता हैं। राजस्थान के आईजीपी ए. के. जैन के अनुसार लखनऊ में बम धमाकों को अंजाम मास्टर माइंड केफे संचालक शाहबाज हुसैन ने अंजाम दिया जिसे राजस्थान पुलिस ने लखनऊ से गिरफ्तार किया। वहीं उत्तर प्रदेश पुलिस का कहना है कि यूपी में धमाकों का मास्टर माइंड न तो सिमी है और न इंडियन मुजाहिद्दीन बल्कि यहां धमाकों का मास्टर माइंड दूसरा ही संगठन है और वह है बांग्लादेश का आतंकी संगठन हरकत-अल-जेहादी-इस्लामी (हूजी) को जिसको की उप्र पुलिस मानती है। वहीं एडीजी यूपी ब्रजलाल के अनुसार वाराणसी के मार्केट में हुए बम धमाकों को अंजाम हूजी नामक आतंकी संगठन के स्टेट कमांडर वाजीउल्लाह का हाथ है। इसमें तो एक ही बात सामने आती है कि न तो पुलिस को जानकारी है कि इन धमाकों के पीछे कौन से आतंकी संगठन हैं और वह यह सब क्यों कर रहे हैं। वहीं गुजरात के ज्वाइंट कमीश्नर आशीष भाटिया का कहना है कि दिल्ली पुलिस जो आतंकी संगठन के नाम बता रही है वही सही है।
गुजरात के मुख्यमंत्राी नरेन्द्र मोदी भी कह चुके हैं कि मैं कोई बात नहीं करता सिर्फ कार्यवाही करता हूं। वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्राी व बसपा सुप्रीमो मायावती ने पुलिस प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि आतंकवाद को जड़ से खत्म कर दिया जाएगा अगर कोई भी लापरवाही हुई तो उस अफसर को तुरंत निलंबित कर दिया जाएगा।
दैनिक भास्कर के 20 सितंबर के अंक में छपा था कि आजमढ़ जिले से आतंकीतार जुड़ते नजर आ रहे हैं क्योंकि अंडरवल्र्ड डाॅन अबू सलेम व अनीस इब्राहिम भी आजमगढ़ के थे हो सकता है कि उन्हीं के बाद से वहां पर आतंकवादियों ने अपना गढ़ बना लिया हो। आजमगढ़ में सपा के जिला उपाध्यक्ष शादाब अहमद ने कहा था कि अगर मेरा बेटा आतंकवादी निकलता है तो मैं उसे गोली मार दूंगा उसी दिन इलेक्ट्राॅनिक मीडिया व दैनिक भास्कर के 21 अंक में आया कि आतंकवादियों से मुठभेड़ में भले ही दिल्ली पुलिस के जाबांज इंस्पेक्टर शहीद हो गए हों लेकिन सैफ के पिता शादाब और आतिफ की मां रजिया अमीन को अब इस बात पर संदेह हो चला है कि पुलिस ने स्क्रेच जारी किए व जो आतंकवादी पकड़े वे उनके बच्चे नहीं है इसलिए सैफ के पिता ने मीडिया को फोन पर बताया कि मुठभेड़ की संसदीय समिति से न्यायिक जांच कराने की मांग की है। वहीं आतिफ की मां ने मीडिया के सामने आकर अपने बेटे आतिफ के बचाव में जोरदार प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि मुठभेड़ पर संदेह जताकर कहा कि मेरा बेटा आतिफ तो पढ़ने में होशियार था व वह दाढ़ी भी रखता था जबकि पुलिस द्वारा जो लोग दिखाए उनमें आतिफ के दाढ़ी नहीं थी जबकि आतिफ दाढ़ी कटवाने के नाम पर भड़क जाता था उन्होंने कहा कि मेरे बेटे का नाम लेकर उसे फसाया जा रहा है जिसकी उन्होेंने न्यायिक जांच की मांग की है। तो क्या शादाब अहमद आप अपने बेटे सैफ को गोली न मारकर अपने शब्दों से दूर भाग रहे हैं एक तरीके से आप भी आतंकियों का साथ दे रहे हैं।
दूसरी ओर गुजरात के जमैतुल उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना मुस्तकीन अहसान आजमी का कहना है कि कोई भी बमकांड हो या आतंकवादी पकड़ाए हमेशा पहले मुसलमानों को ही पकड़ा जाता है ऐसा हमारी कौम बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगी। अरे मौलाना साहब मुस्लिम को हम दुश्मन नहीं मानते लेकिन पाकिस्तान तो अपनी हरकतों से बाज नहीं आता वह तो मुस्लिम आतंकी संगठन ही बनाता है तो सरकार, पुलिस या कोई हिन्दुस्तानी कैसे भरोसा कर सकता है मुसलमानों पर।

Monday, September 22, 2008

सांमप्रदायिक और आतंकवादी हमला

  • हृदेष अग्रवाल
उड़ीसा में बजरंग दल ने धर्म परिवर्तन को लेकर चर्च में आग लगा दी और बजरंग दल के एक नेता को गिरफ्तार कर लिया गया। अपने धर्मों को बचाने के लिए कौन सा समाज या कौन सी कौम कुछ नहीं करती अगर बजरंग दल के एक कार्यकर्ता ने आग लगा दी तो पूरे देष में इसाई धर्म के लोगों ने इतना बवाल मचा रखा है। अगर कोई हिन्दू किसी इकाई या अन्य किसी कौम के व्यक्ति का धर्म परिवर्तन कराए तो सभी दूसरे समाज चुप रह जाएंगे क्या जो हिन्दू समाज चुप रह जाए। भारत देष में हिन्दुओं पर ही सारी आपत्ति क्यों हैं क्या हिन्दू इस देष का नहीं है क्या। अगर जबरदस्ती हिन्दू धर्मपरिवर्तन पर सरकार अगर चुप बैठी रहेगी तो कोई तो हिन्दू संगठन कुछ करेगा या वह भी नपंुसक की तरह चुप रहेंगे। आज का हिन्दू पहले वाला हिन्दू नहीं है जोकि कोई भी आए दो-चार लगाए और चला जाए। अगर हिन्दू धर्म का लड़का किसी दूसरे धर्म की लड़कियों से अगर षादी करता है तो उसे अपना धर्म बदलना पड़ता है क्योंकि पूरा समाज उसका विरोध करता है, वहीं अगर दूसरे धर्मों की लड़कियां अगर हिन्दू धर्म के लड़कों से षादी करती हैं तो भी उन्हें ही धर्म क्यों बदलना पड़ता है। वहीं दूसरी और हमारे देष में आतंकवाद तो सबसे बड़ा और गंभीर मामला है जिसे हमारी सरकार न तो पूरे तरह से साफ करना चाहती है और न ही हमारे देष की सेना या पुलिस को करने का हुक्म देती है। सरकार को तो सिर्फ अपना और अपने मंत्रियों का ही दिखता है चाहे देष में क्यों न आग लग जाए। इसका ताजा मामला हाल ही में देखने को मिला है जहां हमारे desh की राजधानी कहे जाने वाले षहर दिल्ली में आतंकवादी आतंक मचा रहे थे वहीं हमारे देष के गृहमंत्री sivaraaj पाटिल अपने कपड़े बदलने में लगे थे और जब पर घटनास्थल पर पहुंचे तो उन्होंने वही पुराना घिसा-पीटा भाषण कि हम इस हमले की निंदा करते हैं तथा मरने वालों को सरकार की तरफ कुछ लाख रूपया मुआवजा देने की भी घोषणा करते हैं तथा आतंकवादियों को जल्द से जल्द हिरासत में लेकर कठोर कार्यवाही की जाएगी। हमारे देष के नेता यह क्यों भूल जाते हैं कि जो लोग आतंकवादी हमले में मारे गए हैं वह भी किसी के बेटा, पिता, पति थे। नेताओं को किसी के जीने मरने से कोई मतलब नहीं उन्हें तो सिर्फ एक दूसरे पर कीचड़ उछालना और राजनीतिक रोटियां सेकना ही आता है क्योंकि हमारे देष के नेता जानते हैं कि हम तो चारों तरफ से सिक्योरिटी गार्ड से घिरे हुए हैं कोई हमारा क्या बिगाड़ सकता है हम घटनास्थल पर पहुंचे तो हमको हाइलाइट करने के लिए मीडिया उससे पहले पहुंच जाए क्योंकि जब हम मुआवजे की घोषणा करें तो हमारा इलेक्ट्राॅनिक मीडिया व प्रिंट मीडिया में नाम हो कि नेताजी वहां पहुंचे तो उन्होंने मुआवजे की इतनी रकम देने की घोषणा की और आतंकवादियों पर कुछ वही चुनिंदा shabd कहे और चलते बने। क्योंकि हमारे नेता जानते हैं कि हमें तो अगर छींक भी आ जाए तो पूरा का पूरा मंत्रिमंडल और मीडिया हिल जाए कि नेताजी को छींक आई है और अगले ही दिन सभी पेपर के फ्रंट पेज पर नेताजी की खबर देखने की मिलती है। गरीब जनता मरी है वो तो होती ही इसलिए है कि मरे और हमें राजनीतिक रोटियां सेकने को मिले क्योंकि चुनाव भी तो नजदीक ही हैं।